23 फरवरी। मतदान का दिन। वोटों की बूंदाबांदी। और आधा कानपुर सो गया। राजनीति का ककहरा ककहारने वाला कानपुर वोट देने के मामले में कहां चला गया। हर घर, गढ़ और जड़ में राजनीति की बातें करने वाला कानपुर। सुबह से लेकर शाम तक चाय और चुनावी चकल्लस करने वाला कानपुर। छोटी-बड़ी मिलों के बाहर धरना-प्रदर्शन करने वाला कानपुर। धर्म के नाम पर जाति के नाम पर वादविवाद के नाम पर गोष्ठियां, बैठक करने वाला कानपुर मतदान के समय कहां चला गया। सिर्फ 55 प्रतिशत वोट। आखिर आज आधा कानपुर कहां सो गया!